Monday, December 10, 2012

जहाँ उसूल दांव पर लगे वहां उठा धनुष

इस बार दिवाली के शुभ अवसर पर गुरुदेव पंकज सुबीर जी के ब्लॉग पर तरही मुशायरा आयोजित किया गया. तरही का मिसरा था "घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे" इस मिसरे के साथ शिरकत करने वाले शायरों और कवियों ने अपनी रचनाओं से अचंभित कर दिया. मुशायरे का पूरा मज़ा तो आप गुरुदेव के ब्लॉग पर जा कर ही ले सकते हैं यहाँ पढ़िए वो ग़ज़ल जो मैंने उस तरही में भेजी थी. उम्मीद है पसंद आएगी:




तुझे किसी से प्यार हो तो हो रहे तो हो रहे 
 चढ़ा हुआ ख़ुमार हो तो हो रहे तो हो रहे 

 जहाँ पे फूल हों खिले वहां तलक जो ले चले 
 वो राह, खारज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे 

 उजास हौसलों की साथ में लिये चले चलो 
 घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे 

बशर को क्या दिया नहीं खुदा ने फिर भी वो अगर 
बिना ही बात ख़्वार हो तो हो रहे तो हो रहे 

 मेरा मिजाज़ है कि मैं खुली हवा में सांस लूं 
 किसी को नागवार हो तो हो रहे तो हो रहे 

 चमक है जुगनूओं में कम, मगर उधार की नहीं 
 तू चाँद आबदार हो तो हो रहे तो हो रहे 
 आबदार: चमकीला 

 जहाँ उसूल दांव पर लगे वहां उठा धनुष 
 न डर जो कारज़ार हो तो हो रहे तो हो रहे 
 कारज़ार : युद्ध 

 फ़कीर हैं मगर कभी गुलाम मत हमें समझ 
 भले तू ताज़दार हो तो हो रहे तो हो रहे 

 पकड़ तू सच की राह को भले ही झूठ की तरफ 
 लगी हुई कतार हो तो हो रहे तो हो रहे

29 comments:

शारदा अरोरा said...

वाह , बहुत ही बढ़िया ...जितनी तारीफ़ की जाए कम है ...

Anonymous said...

"फ़कीर हैं मगर कभी गुलाम मत हमें समझ
भले तू ताज़दार हो तो हो रहे तो हो रहे"

सदा said...

पकड़ तू सच की राह को भले ही झूठ की तरफ
लगी हुई कतार हो तो हो रहे तो हो रहे
वाह ... बहुत खूब
हमेशा की तरह ... अनुपम प्रस्‍तुति

दिगम्बर नासवा said...

सच की राह को पकड़ने का पैगाम देती लाजवाब गज़ल ... गुरुदेव के ब्लॉग पे सभी का आनद लिया है ... कमाल ये है की ताजगी बढती ही जाती है इस गज़ल की ...

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह...........
बहुत खूब नीरज जी..
चमक है जुगनूओं में कम, मगर उधार की नहीं
तू चाँद आबदार हो तो हो रहे तो हो रहे
लाजवाब...

सादर
अनु

इस्मत ज़ैदी said...

चमक है जुगनूओं में कम, मगर उधार की नहीं
तू चाँद आबदार हो तो हो रहे तो हो रहे

क्या बात है हमेशा की तरह "आबदार" ग़ज़ल ,लेकिन ये आब जुग्नू की है चाँद की नहीं :)

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (11-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

मेरा मन पंछी सा said...

वाह\\
सभी बहुत बढियां..
;-)

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह जी, वाकई पसंद आई

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ख़ूब , वाह

yashoda Agrawal said...

आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 12/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

तिलक राज कपूर said...

अभी तक सीहोर में हुई मुलाकात का असर बरकरार है। काश अब आप ग़ज़ल के साथ ऑडियों भी पाठकों तक पहुँचा दें पाठक श्रोता बनने का आनंद भी प्राप्‍त कर सकें।
प्रस्‍तुत ग़ज़ल में कठिन रदीफ़ का निर्वाह आपने जिस खूबसूरती से किया है वह लाजवाब है।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह ,,, बहुत उम्दा,लाजबाब गजल ....

recent post: रूप संवारा नहीं,,,

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति :
मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है

नीरज गोस्वामी said...

Received on e-mail:

achcha laga
thanks
sajeevan

virendra sharma said...

बहुत उम्दा अशआर हैं जनाब के .

dr.mahendrag said...

पकड़ तू सच की राह को भले ही झूठ की तरफ
लगी हुई कतार हो तो हो रहे तो हो रहे
bhav bhari ek behtareen rachna

Shalini kaushik said...

मेरा मिजाज़ है कि मैं खुली हवा में सांस लूं
किसी को नागवार हो तो हो रहे तो हो रहे
बहुत सुन्दर.सराहनीय भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई भारत पाक एकीकरण -नहीं कभी नहीं

धीरेन्द्र अस्थाना said...

kya baat hai sir!
behtreen.

Saras said...

बेहतरीन....हर शेर दूसरे पर भारी ...बहुत उम्दा ...!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बेहतरीन गज़ल

जीवन और जगत said...

गजल की ले मशाल तुम बढे चलो बढ़े चलो,

घना जो अंधकार हो तो हो रहे तो हो रहे।

हिंदी चिट्ठा संकलक said...

सादर निमंत्रण,
अपना बेहतरीन ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में शामिल करें

Vinay said...

सुन्दर रचना

चाँद, बादल और शाम

हिंदी चिट्ठा संकलक said...

मुझे आपके ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में नहीं मिला, क्या आपने शामिल नहीं किया?
http://hindiblogs.charchaa.org/

Manish Kumar said...

क्या बात है हुजूर आपने तो आज दिल ही लूट लिया। जुगनू वाला शेर तो दिल के आरपार हो गया। भगवान आपकी लेखनी को यूँ ही धारदार बनाए रखें।

Onkar said...

बहुत सुन्दर

रचना दीक्षित said...

मेरा मिजाज़ है कि मैं खुली हवा में सांस लूं
किसी को नागवार हो तो हो रहे तो हो रहे

खूबसूरत अशआर, हर शेर लाजवाब.

Shiv said...

उजास हौसलों की साथ में लिये चले चलो
घना जो अन्धकार हो तो हो रहे तो हो रहे

बशर को क्या दिया नहीं खुदा ने फिर भी वो अगर
बिना ही बात ख़्वार हो तो हो रहे तो हो रहे

वाह! एक-एक शेर बहुत खूब!